🌹एक बूंद इश्क🌹
हे कृष्ण तुम्हारे प्रेम की,
एक बूंद मुझे भी मिल जाए।
जीवन सारा तृप्त हो जाए,
अगर सखी तुम्हारी हम कहलाए।।
वृंदावन की हर गली में,
एहसास तुम्हारा बना हुआ हैं।
कान्हा तुम्हारी मधुर बांसुरी से,
वृंदावन सारा महका हुआ है।।
कान्हा अपने प्रेम रस में से,
कुछ बूंदें हम पर भी बरसा दो।
बाबरी हो जाऊं तुम्हारे प्रेम में,
इतनी कृपा मुझ पर भी बरपा दो।।
जो हो गई कृपा तुम्हारी कान्हा,
तो संसार से मोह सब छूट जायेगा।
तुम्हारे चरणों में समर्पित होकर,
दिल कान्हा ही कान्हा गायेगा।।
मेरे मन मस्तिष्क पर कान्हा,
तुम ऐसे अब छा जाना।
किरदार कोई भी हो सामने,
छवि तुम्हारी ही अब उसमें पाना।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री