माँ ! तेरे जिस कण ने माँओ को पूजनीय कर दिया ,
तू आप पुंज ! संतानो की मानसिक , शारीरिक और बौद्धिक दुर्बलता देख कितना पीड़ित रहती होगी यह
मुझे तेरे उस गरिमामयी उस कण ने जिसे मेरे भीतर प्रवेश कराया है | क्या यह मोह बंधन है ? अथवा पूजनीय तत्व ? तेरे सिवा भला मुझे कौन समझाये |