मन को इक यार चाहिए।
हसीं होठों की परवरिश वाला।
एक तलबगार चाहिए।
सुख चाहिए, प्यार चाहिए।
मन को कोई अब मिलनसार चाहिए।
वो जो फरमाए मान लेना तुम।
उसको नही न तुमसे तकरार चाहिए।
मजमा ए - हुस्न का ये दौर है सुखन
कागज़ी शेर की इनायत है।
कैसे मन को मार देते हो।
उसे बस एक ही शिकायत है।
-Anand Tripathi