सब शान्त हो गये 
अभिव्यक्ति और उपस्थिति रहित 
एक मुझे छोड़कर 
नही मालूम बारी कब आयेगी खुद ही  
खुद से प्रश्न करती हूँ 
आखिर क्यों नाहक शोर है मुझमे ,
अपने ही तट से बार -बार टकरा रही हूँ 
हर बार यह सोचकर यह आखिरी लहर है
अब शान्त हो जाऊँगी मै भी !
उपस्थिति रहित , अभिव्यक्ति रहित ......