सब शान्त हो गये
अभिव्यक्ति और उपस्थिति रहित
एक मुझे छोड़कर
नही मालूम बारी कब आयेगी खुद ही
खुद से प्रश्न करती हूँ
आखिर क्यों नाहक शोर है मुझमे ,
अपने ही तट से बार -बार टकरा रही हूँ
हर बार यह सोचकर यह आखिरी लहर है
अब शान्त हो जाऊँगी मै भी !
उपस्थिति रहित , अभिव्यक्ति रहित ......

Urdu Poem by Ruchi Dixit : 111867967
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now