मैं और मेरे अह्सास
अपनी बर्बादी का जश्न मना रहा हूँ l
तेरी बेवफाई तुझे ही दिखा रहा हूँ ll
जज्बात कुछ इस तरह बहके है l
तेरी जुदाई में घर सजा रहा हूँ ll
वादा किया है तो निभाएंगे ही l
दिलासा दे दिल बहला रहा हूँ ll
तेरी पाती बार बार पढ़कर सखी l
सोये हुए अरमाँ बहका रहा हूँ ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह