मैं और मेरे अह्सास

अपनी बर्बादी का जश्न मना रहा हूँ l
तेरी बेवफाई तुझे ही दिखा रहा हूँ ll

जज्बात कुछ इस तरह बहके है l
तेरी जुदाई में घर सजा रहा हूँ ll

वादा किया है तो निभाएंगे ही l
दिलासा दे दिल बहला रहा हूँ ll

तेरी पाती बार बार पढ़कर सखी l
सोये हुए अरमाँ बहका रहा हूँ ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111865379

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