नंगे पग चलकर जो दूर से था आया
खटखटाया ?
क्यों द्वार न खुल पाया ?
है प्रीत जो तुम्हारी ,
प्रीत लेके आया क्यों द्वारा
न खुल पाया , क्यों द्वार न खुल पाया ?
छूट गया सब या गया सब छुड़ाया
एक दाग रह गया जो क्यों गया न मिटाया |
क्यों द्वार खुल न पाया , क्यों द्वार खुल न पाया ?
उसके लिए ही तू है जिसके लिए है आया
बैठा हुआ है उर में पहचान न बताया |
क्यों द्वार खुल न पाया ,
क्यों द्वार खुल न पाया क्यों
आखिर क्या वजह थी विरह
बेल फलती , क्यों भावना
भुलाया , क्यों द्वार खुल न पाया भुलाया.
रचना अंश से

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111865227

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