होली पावन पर्व है
होली पावन पर्व में,बरसें मधुमय रंग।
खेलें कूदें बाल सब,होता है हुडदंग।।
गुझिया पापड़ बन रहे,रंग भरा बाजार।
होली बरसे प्यार अति,भींगे सब संसार।।
जीजा साली खेलते,रिश्तों के सत रंग।
भाभी देवर भी रंगे,बड़े अनोखे ढंग।।
होली जलती जब जगत,मिटते बहुत विकार।
जले बुराई आग में,हर्षित हो संसार।।
होली खेलें श्याम जी,राधा जी के साथ।
हर्षित होकर भक्त सब,जोड़ें प्रभु को हाथ।।
होली खेले ओम भी,प्रेम भाव के संग।
रंगता सबको प्रेम से,ले पुष्पों के रंग।।
कहता सबसे ओम जी,होली पावन पर्व।
सदा मनाओ हर्ष से,कर संस्कृति पर गर्व।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर