यू झाँझ
ढले एक रुत रोज आई....
जैसे के बरखा संग सौंधी खुशबू आई
यू झाँझ
ढले एक रुत रोज आई....
जैसे नदिया के संग चंचलता आई
यू झाँझ .....
ढले एक रुत रोज आई
जैसे यारो के संग सुकूनियत आई ...
यू झाँझ
ढले एक रुत रोज आई
जैसे मनिकर्णिका के संग मुक्तन आई....
यू झाँझ
ढले एक रुत रोज आई....
जैसे सकारात्मक विचार संग आजादी आई ....
यू झाँझ
ढले एक रुत रोज आई....!!
-Madhu