रिश्ता
रिश्ता हो कोई भी जीवन का,
मजबूरी में बांधकर नहीं रखना।
दिल से जब किसी का दिल मिले,
तभी उस रिश्ते में पूर्णरूप से बंधना।।
रिश्ता चलता है दोनों तरफ से,
दोनों को उसे निभाना होता।
गति कम या ज्यादा हो जाए,
पर छोड़कर नहीं उसे जाना होता।।
अच्छा बुरा लगा रहेगा जीवन में,
पर बीच में साथ कभी मत छोड़ना।
हो जाए अगर अंजाने में गलती,
तो उससे मुख कभी मत मोड़ना।।
नहीं निभा सकते अगर ऐसा रिश्ता,
तो किसी भी रिश्ते में मत बंधना।
उम्मीद नहीं रखेगा कोई रिश्ते में,
नहीं पड़ेगा उस रिश्ते से पीछे हटना।।
रिश्ता अगर बनाना किसी से तो,
समय और विश्वास का देना गहना।
धुंधला न जाएं उन रिश्तों की यादें,
उन रिश्तों में दस्तक देते रहना।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री