केंद्रित
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मन का खेल निराला है
भरा शब्दों का प्याला है
लक्ष्य को केंद्रित कर ही
संतों ने ग्रंथों को रच डाला है।
गीता, रामायण, कुरान , बाइबिल
समाया है उसमें सबका ही दिल
पूजा-अर्चना होती उस पर केंद्रित
सुख,समृद्धि,शांति रहती हिलमिल ।
मन से मन की ओर ही जाकर
मिलती है भरी ज्ञान की गागर
अपार खाजाना मिल जाता जब
फिर लहराता है शब्दों का सागर ।
आभा दवे
मुंबई