समय का ही तो सब खेल है

तुम दिन के उजाले में सुकून ढूंढ रही हो



और हम रात के अन्धेरे में तेरी परछाई के पीछे भाग रहे हैं

English Story by Ravi : 111861095

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now