अब तुम्हे हम क्या बताए हाले दिल का कारवां।
एक टूटी नाव मेरी। और लहरें बेपनाह।
रख चुका हूं पैर को मझधार में।
है बहुत सी खामियां पतवार में।
पर लगन और एक अगन की आश में।
रात दिन बस एक ही विश्वास में।
एक दिन होगा की मैं भी आऊंगा।
कर गुजरने का जुनूं
मैं भी तुम्हें दिखलाऊंगा।
-Anand Tripathi