विषय - तलब
दिनांक -22/01/2023
चढ़ा है सुरूर तुम्हें पाने का,
कब तुम मेरे पास आओगी।
इंतजार हम बहुत कर चुके,
क्या ऐसे ही तुम तड़पाओगी।।
तुम्हें छूने की तलब लगी है,
स्पर्श करना मैं चाहता हूं।
अपने प्रेम से तुम्हें बांधकर,
आत्मसात होना चाहता हूं।।
तुम्हारे प्रेम भरे इकरार पर,
खुशियां सारी हम लुटा देंगे।
तुम्हें भरकर अपनी बांहों में,
दुनियां का असीम सुख देंगे।।
हो अगर प्रेम तुम्हें हमसे तो,
तभी मेरे प्रेम को स्वीकारना।
लगी हो प्रेम की तलब तुम्हें भी,
तभी स्नेह निमंत्रण को मानना।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री