जो चला गया बीच मझधार में छोड़कर,
एक गीत उसके लिए भी लिख जायेंगे।
शब्दों में दिल की पीड़ा को संजोकर,
अपनी आवाज में इस तरह गुनगुनाएंगे।।
होगा हर अल्फाज में सिर्फ तेरा जिक्र,
हर महफिल तेरे ही लिए ही सजायेंगे।।
तुम दोगी आवाज जिस भी महफिल में,
हम एक आवाज पर दौड़े चले आयेंगे।।
पर क्यों तुम मुझे अकेला छोड़कर चले गए,
क्या मेरे एहसासों को तुम कभी भुला पाओगे।
आज नहीं तो कल आयेगा वो दिन,
जब याद में एक दिन तुम पछताओगे।।
नहीं होंगे जब हम इस दुनियां में,
तब किसे अपना दुख दर्द दिखाओगे।
आज है तो कर लो हमारी भी इज्जत,
वरना बाद में सिर्फ अफसोस ही जता पाओगे।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री