विषय - सर्दी सी सुबह धूप सी तुम
दिनांक - 15/01/2023
तुम मेरे जीवन की छांव,
और तुम ही मेरी सांझ रूप हो।
कभी सर्दी की शीत लहर,
तो कभी गुनगुनी सी धूप हो।।
कभी अपनी मीठी बातों से,
दिल को मेरे रिझाती हो।
कभी रूठकर और लड़कर,
गुस्सा अपना दिखाती हो।।
जीवन में कभी आये हताशा,
तो नई ऊर्जा बन समझाती हो।
गृहस्थ जीवन के उतार चढ़ाव में,
साथ हमेशा ही निभाती हो।।
पति पत्नी का साथ हमेशा,
धूप और छांव सा होता है।
कभी गर्म तो कभी नर्म बनकर,
दांपत्य जीवन को पिरोता है।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री