कल जयपुर से चंडीगढ़ की यात्रा के बीच बिहारी का ये दोहा याद आ गया.....
चमचमात चंचल नयन बिच घूँघट-पट झीन।
मानहु सुरसरिता-विमल-जल उछरत जुग मीन॥
मेरे सामने वाली बर्थ पर चंचल सी लड़की और शर्मीला सा लड़का। शायद नई-नई शादी हुई थी और दोनों कहीं घूमने जा रहे थे। लड़की थोड़ी लापरवाह सी थी उसकी चंचल-चपल नज़रें चारों तरफ घूम रही थी। लड़का और लड़की कभी मोबाइल देखने लगते तो कभी एक दूसरे को। लड़का कभी बिस्किट तो कभी चाॅकलेट अपने बैग से निकालकर लड़की को देता तो प्रतिउत्तर में लड़की मुस्कुराती हुई उन्हें खाने लगती।
कभी लड़की को हाथ में पहना चूड़ा नहीं सुहाता तो कभी लाल रंग का सिल्क वाला सूट। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी इसलिए सूट पर लोंग कोट पहना था शायद सूट की चुन्नी उसे बहुत परेशान कर रही थी इसलिए उसने चुन्नी उतार कर लड़के की गोद में रख दी । लड़के ने चुपचाप चुन्नी समेटकर अपने बैग में रख रख ली।
कुछ देर बाद लड़के ने अपने बैग से टिफिन निकालकर लड़की को खाने के लिए कहा।
लड़की उस लड़के के आगे इस तरह बैठ गई जैसे वो उसे खाना खिलाए। लड़के ने उसे एक-दो कोर खिलाए ही थे कि अचानक उसकी नजर सहयात्रियों पर पड़ी जो शायद उन्हें ही देख रहे थे।
लड़के के हाथ रुक गए तो बेपरवाही से लड़की खुद खाना खाने लगी और लड़का बस उसे चुपचाप खाना खाते देखता रहा।
खाना खाकर लड़की ने कहा खाना किसने बनाया..? तो लड़के ने जवाब दिया - " भाभी ने।"
" तुम्हारी भाभी तो बहुत अच्छा खाना बनाती है..! तुम भी खालो टिफिन में और खाना रखा है। "
लड़की की बात सुनकर लड़का बड़ा खुश
हुआ। उसने कहा - "मुझे अभी भूख नहीं, चलो तुम सो जाओ।"
ये सुनकर लड़की मुस्कराते हुए बोली -
"ठीक है मैं सो जाती हूँ.. पर तुम खाना जरूर खा लेना। "
कहते हुए लड़की अपने हाथ में पहना चूड़ा उतारने लगी तो लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया। लड़की ने कहा -
"ये बहुत चुभ रहा है।"
लड़के ने कहा -" चूड़ा उतारते नहीं! जल्दी सो जाओ नींद आ जाएगी तो पता ही नहीं चलेगा।" आज्ञाकारी बच्चे की तरह लड़की ने लड़के की बात मान ली और बीच सो गई। लड़की को कंबल उढ़ाकर लड़का उठा और बीच वाली बर्थ पर सोने जाने लगा तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा - " यहीं बैठे रहो मुझे डर लगता है। "
" बुद्धू लड़की! "
कहते हुए लड़के ने धीरे से अपना हाथ छुड़ाया और बीच वाली बर्थ पर जाकर लेट गया तो लड़की उसे को फोन करके जोर से हँसने लगी।इस पर लड़के ने शर्माते हुए लड़की से सो जाने को प्रार्थना की।
मैं चुपचाप लेटी अधखुली आँखों से चंचल लड़की की शरारतें देखती रही।
सुनीता बिश्नोलिया