*विश्वोद्भवस्थितिलयादिषु हेतुमेकं*
*गौरीपतिं* *विदिततत्त्वमनन्तकीर्तिम्।*
*मायाश्रयं विगतमायमचिन्त्यरूपं*
*बोधस्वरूपममलं हि शिवं नमामि ।।*
*भावार्थ:*
*जो विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और लय आदि के एकमात्र कारण हैं, गौरी गिरिराज कुमारी उमा के पति हैं, तत्त्वज्ञ हैं, जिनकी कीर्ति का कोई अन्त नहीं है, जो माया के आश्रय होकर भी उससे अत्यंत दूर हैं तथा जिनका स्वरूप अचिन्त्य है,उन विमल बोधस्वरूप भगवान् शिव को मैं प्रणाम करता हूं।*
*सुप्रभातम्*
-Dr.Sharadkumar K Trivedi