सराय...................................
सराय का मतलब समझते हो क्या,
पूरी दुनिया ही सराय है कभी महसूस किया क्या,
कभी सीधी है कभी मोड़ देती है,
कहीं सरल है तो कई जगह पथरीली है,
फिर भी हमें खुद से जोड़े रखती है,
उसके पास तो लाखों मेहमान है,
हमारे पास तो वो भी नहीं है...............................
कभी दरवाज़ा खोल कर अंदर बुलाती है,
कभी उसी दरवाज़े को मुंह पर मारती है,
कभी तो कोई सराय गले से लगा लेती है,
बांध लेती है खुद से और यादों से रोक लेती हैं,
अपने किरदार में माहिर वो हर शख्स से वाकिफ है,
दिखावटी लोगों के आने पर प्रतिबंध की तख्ती लगाती है............................
खुद का घर भी सराय है,
सड़क और उसके मोड़ भी उसके हमसाए हैं,
नए शहर का नाम अलग है पर वो भी एक सराय है,
पहले तो स्वागत होगा,
फिर औरों की तरह ही मोल - भाव का खाका खुलेगा,
इसलिए अपना किरदार निभा कर हर सराय से चलते बनो,
इंतज़ार करों उस घर का जहां से निकाले जाने का परमिट,
किसी के पास ना हो...........................
स्वरचित
राशी शर्मा