वो.....................................
वो सब्र को अच्छा मानता है,
इंसान उसी इंतज़ार से थक जाता है,
बर्दाशत को वो ताकत का दर्जा देता है,
सहनेवाला सह - सह कर हार मान जाता है,
उसके दिए हुए ऐ गुण ही हमें उसके काबिल बनाते है,
नहीं तो हमारे पास क्या खास है,
जिसके लिए वो हमारी परवाह करता है................................................
उसकी हर जगह की मौजूदगी ने एकाकी को जन्म दिया,
अल्फाज़ तो अनगिनत है मगर इंसान ने मौन को साध लिया,
बाहर की महफिल से दूर भीतर की गहराई में कैद है,
इंसान कुछ ना होकर भी उसकी नज़र में बहुत कुछ है,
उसकी देरी कभी - कभी इंसान को तोड़ देती है,
दूर ले जाती है उससे विश्वास भी हिला देती है....................................................
उसे मानने वालों में और उसकी मानने वालों में,
वो सब पर मेहर करता है,
हमारे शक को भूल कर बदलें में हमें यकीन दे देता है,
तभी तो रोज़ाना गिर कर भी कदमों पर ड़टे रहे रहते है,
वो है आज और रहेगा कल भी हमारे साथ ही,
केवल इसी प्रयास में ज़िंदा रहते है................................................................
स्वरचित
राशी शर्मा