बेगानी महफिल में एक नादान सा ख्वाब लिए
हम तो ऐसे ही गुमसुम रहते है दिल में खुमार लिए
किसी ने पूछ दिया आज कल कहा होते हो
हमने बोला
अपनी एक दुनिया सजा कर ,हम भी ख्वाब पिरोते है
आंखों में खुमारी लिए किसी का इंतजार करते है
कभी वो सुबह में तो कभी ढलती शाम में
साथ रहते है हम यूंही हर बात में
-Hari Virah Yogi