सितारों से आहे जहाॅ और भी है
अभी इश्क के इम्तिहाॅ और भी है
कहीं जिंदगी से नहीं. ये उजालएॅ
यहां सैंकडो कारवाॅ और भी है
कनाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी आशियाएॅ और भी है
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या गम
मकामात-ए-आह-ओ-फुगॅा और भी है
तू शाहीद है परवाज है काम केराचं
तिरे सामने आसमाॅ और भी है
इसी रोजी शब में उलझ कर न रह जा
कि तेरे जमान ओ मकाॅ और भी है
गए दिन कि तन्हा था मैल अंजुमन में
यहां अब मिरे राज-दाम और भी है
….. अल्लामा इकबाल