सुन लेते है हम भी और वो भी
लफ्ज़ जो लब तक आते नहीं है
पता सब हमें भी है और उन्हें भी
तारों को गिनना आसान नहीं है
चुप मगर हम भी है और वो भी
खामोशी में शोर पर कम नहीं है
कसक हमे भी है और उन्हें भी
जिद में मगर दोनों कम नहीं है
याद हमे भी आती है और उन्हें भी
महसूस ना करे ये ऐसा लम्हा नहीं है
ना जाने कैसे रिश्ते की डोर है ये
बिना वादे के बंधे है पर बंधन नहीं है
SKM..... .....।।
-किरन झा मिश्री