तू वजूद थी मेरा न जाने कब इतिहास बन गयी
मेरी नजरो की चमक थी तू न जाने कब आंसू की वजह बन गयी
था विश्वास मेरा तुझसे ही तुझ से ही मेरा जीना था
न जाने कब मरने की वजह बन गयी
रात रात भर सडको पर भटकने की वजह बन गयी
आशिक आवारा पागल बनाने की सिफारिश बन गयी
बितानी थी सारी उम्र तेरे संग मौत की पहली झलक तक
न जाने कब तू पल दो पल की मेहमान बन गयी
-BD Vaishnav