सरल नहीं होता सम्भलना जब आहत आपको कोई अपना करता है। और उन सम्बन्धों में तो चोट बहुत गहरी लगती है जहां कोई सांसारिक बन्धन नही होता बस विश्वास और प्रेम ही डोर होती है। वहां जहां एक स्तर से दूसरे स्तर पर व्यक्ति धैर्य का हाथ थामे चलता है । जहां बस प्रेम पसरता हो वहां अविवेक और अतिशीघ्रता ऐसे कोमल सम्बन्धों को कुम्हला देती है। घातक होता है सम्बन्धों में बार बार खिंचाव आना। क्या जाने कब कौन इतना आहत हो जाये कि वह सारा प्रेम , विश्वास और भावनाएं समेटकर शांत हो जाये और अन्य यह सोचते रहे कि क्षमा मांगने से स्थिति सम्भल जाएगी। किसी को अति स्नेह देना और फिर उसको ही संशय के घेरे में रखना या यह सोच लेना कि आप कहीं गलत नही थे या किसी को कभी भी महत्वहीन महसूस करवाना चेतावनी होती है कि आप अमूल्य सम्बन्ध खोने वाले हैं। जीवन किसी का नहीं रुकता परन्तु शून्य सा हो जाता है मन का वो कोना जहाँ से आपको कोई बहुत स्नेह करने वाला व्यक्ति चला जाता है!!
-किरन झा मिश्री