Hindi Quote in Motivational by Dr Jaya Shankar Shukla

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आचार्यों ने कथन है- *छः रस विधना सृष्टि में नौ रस कविता माहिं* अर्थात् : विधना की सृष्टि में छः रस हैं - मधुर (पृथ्वी और जल),अम्ल (पृथ्वी और अग्नि) ,लवण (जल और अग्नि) ,कटु (वायु और अग्नि) कषाय (वायु और पृथ्वी) और तिक्त (वायु और आकाश) हैं किन्तु कविता में उससे भी अधिक नौ रस विद्यमान होते हैं । इन नौ रसों में श्रृंगार को रस राज यूं ही नहीं कहा गया है । विश्व साहित्य का पहला श्लोक(कविता) आदिकवि महर्षि वाल्मीकि भगवान के अंतस में प्रस्फुटित हुआ, जो वियोग श्रृंगारिक अर्थात श्रृंगार रस का था-
*मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।*
*यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ।।*
अर्थात् : हे निषाद! तुम्हें अनंत काल तक शांति न मिले, क्योंकि तुमने प्रेम ,प्रणय-क्रिया में लीन असावधान क्रोंच पक्षी के जोड़े में से एक की हत्या कर दी ।
बाद में इसी श्लोक विधा में महर्षि बाल्मीकि ने कालजयी महाकाव्य रामायण की रचना की जो आज तक मानव का मार्ग प्रशस्त कर रहा है और तब से आज तक साहित्य की हर छोटी-बड़ी कलम उन महर्षि के प्रति कृतज्ञ है ...समूचा जगत महर्षि का चिर ऋणी रहेगा। आज महर्षि की जयंती है आइए उन्हें प्रणाम करें ,आभार ज्ञापित करें....🙏🏻
चिर-कृतज्ञ, *विवेक दीक्षित*

Hindi Motivational by Dr Jaya Shankar Shukla : 111836778
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