*तन्हाई *
अहद था जिंदगी का, कभी तन्हाई न देगी
दुनिया की महफ़िल में सदा गुलजार रहेगी
सोचा न था वक्त की हवायें रुख बदल लेगी
आज तन्हाई कहती अब वो साथ निभाएगी
कल के दस्तूर अब खोये खोये से रहने लगे
कल किये गये सब वादे अब साथ छोड़ने लगे
फूल प्यार के दिल की दहलीज पर झड़ने लगे
बिन लहजे के अब हमें सब बेवफा कहने लगे
दिल की किस गली में जाये, सब सूनी लगती
हर रिश्तें में अब वीरानी बदमस्त बन कर घूमती
बेरुखी से खुलती खिड़कियां दर्द से चरमराती
ठहरे हुए परदों को परछाईया धीरे धीरे हिलाती
कश्मकश जिंदगी की जज्बातों को कैसे समझाये ?
फितरत इंसानी, कहीं सदमों से कहर न बन जाये
है खुदा दे दुआ, इंसान फिर से इंसान बन मुस्कराये
बे ख्याल हो मोहब्बत, तन्हाई जरूरत न बन जाये
✍️ कमल भंसाली