एक बंधन है भावों का
जो तुम्हे पढ़ लेते है
एक बंधन अहसासों का
महसूस कर लेते है
एक बंधन है दर्द का
थोड़ा बाँट लेते है
एक बंधन है खुशी का
वजह बन जाते है
एक बंधन है जज्बातों का
जिसे लफ्ज़ ना मिलते है
एक बंधन है अनजाना सा
जिसे समझ ना पाते है
बिना डोर से बंधे है जो
ना रह, ना छुट पाते है
क्या बतलाए अब तुम्हें
कि हम क्या लगते हो❤ रुद्र..... .....।।
-किरन झा मिश्री