दो लब्ज़ लगते फकत
देखने वालो को
एक महान आत्मा ने
उसे जी कर दिखा दिया,
ना समझ ने तोहमत लगाए
बड़ी ही आसानी से
दो चार दिन सच बोलकर देखो
मायने पता चलेंगे जिंदगानी के,
एक गाल पर थप्पड़ खा कर देखो
दूसरा गाल भी बढ़ा के देखो
सारा जीवन सत्य अहिंसा में
तुम जरा सा तपा कर देखो,
खुद बखुद आ जायेगा समझ
मोहन क्यों कहलाए महात्मा
ये जो आजादी की सांस है ना हमारी
दे गई एहसान ऐसी ही महान आत्मा।
-Dip. The Shayar