जब दौड़ रहे थे
गिरने की उम्मीद ना थी
गिर पड़े तो
हाथ की उम्मीद ना थी
मिला हाथ जब
छूटने की उम्मीद ना थी
छूटा जब साथ
बिखरने की उम्मीद ना थी
बिखर गए जब
सिमटने की उम्मीद ना थी
उठेंगे तूफ़ाँ.बन कर
इस ऊफ़ान की उम्मीद ना थी
हरा देंगे जिंदगी तुझे भी
ऐसी जीत की उम्मीद ना थी
रुद्र.... .....।।
-किरन झा मिश्री