हमारी दास्तां उसे कहां कबूल थी,
मेरी वफायें उसके लिये फिजूल थीं....

कोई आस नहीं लेकिन कोई इतना बता दो,
मैंने चाहा उसे क्या ये मेरी भूल थी..!!

-Akash Gupta

Hindi Shayri by Akash Gupta : 111835039

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