विषय - मधुशाला
दिनांक -18/09/2022
देखकर तुमको अपने सामने,
बज जाती है दिल की घंटी।
पर मन में विचार ये भी आता है,
पड़ न जाए कहीं मेरे संटी।।
रूप हैं उसका जैसे मधुशाला,
दिल डूबना उसमें चाहता है।
उसके रसीले अधरों के जाम को,
हर कोई तो पीना चाहता है।।
उसके रूप, यौवन को देखकर,
दिखती है उसमें कोई मधुशाला।
पर कुछ भी कहने से डर लगता है,
निकाल न दे मुंह से विष का प्याला।।
एक दिन हिम्मत करके मैनें,
हाले दिल उसे अपना बता दिया।
वह सहज होकर प्रेम से बोली,
देर हो गई, समय आपने गंवा दिया।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री