कदमों तले......................
ज़मीन से लेकर पेड़ों तक मेरी पहुँच है,
समय - समय की बात है,
पहले मैं कहीं और था और अब कही और हूँ मैं,
भूरा रंग भली - भाँति मुझे दर्शाता है,
देखने वालों को मेरा सफर बखूबी समझ मैं आता है................
मुर्झाया से मैं सुन्दरता की पराकाष्ठा तक पहुँच गया हूँ,
अब तो अपने तितर - बितर और,
चुरमुराने का इंतज़ार कर रहा हूँ,
जब बैठते हो मेरे पास तो मैं तुम्हें सुनता हूँ,
हरकत में मैं तुम्हारे कदमें तले आ गिरता हूँ.......................
गहरे लोग मुझे देख ज़िन्दगी का सबब सीखते है,
खो जाते है ऐसे कि मेरे जन्म से लेकर मौत तक की व्याख्या
करते है,
मैं वो हूँ जो किसी भी चीज़ का ग़म नहीं करता,
अन्त पता है मुझे मेरा इसलिए फिक्र नहीं करता,
मुकद्दर में है मेरे कदमों तले रौंदें जाना,
हिम्मत तो देखों मेरी बिखर कर भी अपनों का साथ निभाना...............................
स्वरचित
राशी शर्मा