जस्बातो के पन्नों मे अरमानो की सिहाई
से कुछ कलाम लिखूँगी।
अपने सनम को मै समंदर लिखूँगी
डूब कर उनकी मुहब्बत मे
मै तो मौत को भी सलाम
करुँगी।
और जो डूब कर भी मौत ना
आइ मुझे
तब मै अपनी नसीब को ख़राब
लिखूँगी।
अजी कलम मेरा यु ही थमने वाला
नहीं है
कभी हाल लिखूँगी कभी हवाल लिखूँगी
मुहब्बत करने से सब को खबरदार लिखूँगी।
written by nikhat