मुसाफ़िर के रास्तेबदलते रहे......
सुना है उन्हें भी हवा लग गई , हवाओं का जो रुख बदलते रहे दोस्ती, मुहब्बत,वफ़ा ,बेरुखी
सब किराए के घर है ,बदलते रहे
मुसाफ़िर के रास्ते बदलते रहे,मुकद्दर से चलना था चलते रहे।
जिन्हें डर था सबकुछ छिन जाने का,वो बेअसर से बेखोफ ही फिरते रहे
मुसाफ़िर के रास्ते बदलते रहे , मुकद्दर से चलना था चलते रहे।।
रितु की कलम से...✍️
-Rj Ritu