अमृता ने कुछ साल एक असफल शादी में बिताए। फिर अपने बेटे समीर को लेकर अलग हो गई। समीर उसकी ज़िंदगी का एकमात्र सहारा है।
समीर चौदह साल का एक किशोर है जो अपनी पहचान से जूझ रहा है। एक लड़के के रूप में जन्मा समीर भीतर से खुद को एक लड़की की तरह महसूस करता है।
समीर कैसे अपनी पहचान तलाश पाएगा ?
उससे जुड़े अमृता के सपनों का क्या होगा ?
मेरे घर आना ज़िंदगी जल्दी ही......