कृष्ण एक असाधारण पुरुष
चाहे कोई कृष्ण को अवतार माने या केवल एक ऐतिहासिक पात्र माने पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि वे एक असाधारण पुरुष थे। यही कारण है कि पौराणिक कथाओं से लेकर मध्यकालीन कवियों कि रचनाओं तक में वे एक प्रमुख पात्र रहे हैं। उनका व्यक्तित्व इतना असाधारण था कि न केवल हिन्दू बल्कि अन्य धर्मावलम्बियों में भी कृष्ण के भक्त पाये जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी श्री कृष्ण का विशेष व्यक्तित्व रहा है और इसीलिये भगवान विष्णु के दस अवतारों में से सिर्फ कृष्णावतार को ही पूर्णावतार माना गया है क्योंकि सभी दस अवतारों में सिर्फ श्री कृष्ण ही सोलह कलाओं से परिपूर्ण थे जो कि उन्हें पूर्णत्व प्रदान करता है।
गीता में श्री कृष्ण ने ‘कर्म करो और फल की चिंता मत करो’ कह कर बहुत ही सरल शब्दों में समस्त मानव जाति को जीवन के गूढ़ रहस्य से परिचय करवा दिया है। वास्तव में उनका यह संदेश किसी जाति, सम्प्रदाय या धर्मविशेष के लिये न होकर समस्त मानव जाति के लिये है।
कृष्ण जैसा अद्भुत तथा महान चरित्र न तो उनके जन्म के पहले ही कभी देखने में आया और न ही बाद में कभी आयेगा। यह चरित्र तो भूतो न भविष्यति बन कर रह गया है। इसी कारण से समस्त विश्व में कृष्ण के अनुयायी पाये जाते हैं।