कृष्णमयी सब जगत हुआ
लीला तेरी अनोखी
चितचोर ऐसे ही नही है तु
मनमोहन ऐसे ही नही है तु
मां का मातृत्व छलकता है तेरी जलक से
युवा को साख्य भाव मिलता तेरी नजर से
जिसने जैसा चाहा ऐसा तु मिला सबको
किया स्थापित मनमंदिर में
मनभावक तु मनमोहक तु
करे दर्शन खुली आँखों से
गाये कीर्तन तेरे तान में
हो जाए मशगूल तेरे नाच में
निकले अश्रु धार तेरे भाव मे
ऐसे है जग सारा कृष्णमयी
-Shree...Ripal Vyas