थकान एक सोच है इससे ज्यादा कुछ नहीं। अब हमें आदत किस सोच की डालनी है। थकान की या ताज़गी की। आप जो भी विचार अपने शरीर सिस्टम को देंगे, शरीर भी स्वयं से उसी अनुरूप ढलेगा।
इसलिए हर समय सोच ताज़ा बनाते रहिये। सोच को किसी एक सांचे में ढालकर ज़िंदगी भर ढोते मत रहिये।
'मैं जीना सिखाता हूँ' मेरे द्वारा लिखी किताब से।