कही आपबीती सुनाते सुनाते इतने मशगूल हुए
की कहना था क्या और क्या कह गए
अरे गलतफहमी भी तो कोई छोटी मोटी नहीं
ये तो पूरा जाम लगाए बैठ गए
हम भी कहा भला कम थे साथ देने लगे
इन बातो बातो मे बात बस उनकी करते गए
इतना काफी नहीं हम तो कुछ यूं फिसले
ना जाने कितने गहरे तक पहुंच गए
और तो क्या ही कहे, जब नींद खुली
तो जाना की चलो ठीक है !!
सपने में ही सही
खुद से एक वादा करते गए
उर्मि