दिन ब दिन बढ़ता इश्क का खुमार गया
जिम्मेदारियों के आगे आज आँशु हार गया।
कहने की बातें हैँ की कोई फर्क नहीं पड़ता
पर तेरे बगैर फीका हर तीज त्यौहार गया।
यूं तो कोई कमी नहीं खुदा तेरे इस संसार में
पर उस मासूमियत के आगे मैं जवानी हार गया।
ओ स्माइल ओ स्टाइल और ओ नज़ाकत कहां
उस नन्ही जान के आगे बोना गम का पहार गया।
-रामानुज दरिया