शहीद
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देश की खातिर सैनिक लड़ते रहे
अपनों से ही वो बिछड़ते रहे
जोशी ए वतन मन में भरे हुए
मातृभूमि पर शीश नवाते रहे ।
दुश्मन की चाल टेड़ी थी बहुत
सामने ही खड़ी थी सबके मौत
भारतीय वीरों ने न हटाए पीछे कदम
हँसते-हँसते शहीद हो गए बहुत ।
खून से लथपथ उनकी काया पड़ी थी
होठों पर मगर विजयी मुस्कान खड़ी थी
अलविदा कह गए मातृभूमि को वो
देश की खातिर ही मौत की सीढ़ी चढ़ी थी।
युद्ध में विजय को ही लगाया गले
दुश्मनों को बार- बार मात देते चले
शहीदों की ये कुर्बानी सदा याद रहेगी
जय हिंद जय वीर के बोलों में देश ढले।
आभा दवे
मुंबई