निकलीं है
जंगल, पहाड़ से
एक सशक्त प्रतिभा
सौम्य-सादगी से भरा
शांत व्यक्तित्व लेकर
न कभी वाद-विवाद
न कभी आरोप-प्रत्यारोप
साफ-सुथरी छवि लेकर
संघर्ष की महागाथा से
मन-मस्तिष्क के पटल पर
जिसने छोड़ी अमिट छाप
ओडिशा से दिल्ली तक
वो है आदिवासी महिला
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी
स्नेह से गर्व से सम्मान से
सर्वोच्च पद की राष्ट्रपति ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि- २५/७/२०२२, जुलाई
दिल में गहरा दर्द लेकर, चेहरे पर हरी-भरी मुस्कान लेकर, शांतचित्त स्वभाव के साथ काफ़ी संघर्षमय रहा है श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का जीवन रायरंगपुर से रायसीना हिल्स का सफर तय करने में असंख्य मुश्किलों का सामना करते हुए वंचितों-पिछड़ों-पीड़ितों का उत्थान करने के लिए संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया, दूर दराज ग्रामीण अंचलों में जनकल्याण हेतु सदैव तत्पर रहीं । अति पिछड़ा व गरीब संथाल आदिवासी समुदाय से संघर्ष करती हुई ओडिशा के पृष्ठ भूमि से निकली हुई सकारात्मक ऊर्जा से एम-एल-ए से राज्यपाल और राज्यपाल से राष्ट्रपति बनने तक का सफर अत्यंत कठिन एवंम प्रेरणात्मक रहा है । नारी सशक्तिकरण का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है । देश का सुप्रिम कमांडर बनकर समस्त नारियों को गौरवान्वित महसूस कराया है ।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी को देश का १५वीं और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने व प्रथम नागरिक बनने के लिए हृदय तल से स्नेहाशीष अभिनंदन तथा हार्दिक शुभकामनाएं 🇮🇳💐🙏