मेरी हर उम्मीद तुमसे,
दिल की जोड़ी जो प्रीत तुमसे.....!
रहती हूं जो खिली खिली मै,
रातों में भी नींद तुमसे....!
मुक्त किया जो खुद को तुममें,
तबसे प्रीतम, लिखती हूं हर गीत तुम ही पे.....!
सुनते हो जो तुम कान्हा तो???
इन सांसों की रीत तुम ही से,
लिखती हूं जो गीत तुम ही पे,
मेरे मन की प्रीत तुम ही से.....!!
-Seema Prajapati