आज गिर गए हैं, तो फिर से उठ जाएंगे ।
आज बिखर गए हैं, तो फिर से निखर भी जाएंगे ।
अपने जख्मों पर मरहम भी हम ही लगाएंगे ।
जरूरी नहीं कि चोट तन की ही लगे ।
कभी अल्फाज भी अंदरूनी घाव दे जाते हैं ।
खुद को इतनी शिद्दत से चाहेंगे ,
की सारे घाव यू ही भर जाएंगे ।
आज गिर गए हैं, तो फिर से उठ जाएंगे ।
Dhara vyas