ज्यादा चाहतें नही थी मेरी,
बस तुम संग गंगा किनारे एक शाम बितानी थी,
तुम्हारा हाथ थामे वृंदावन के प्रेम मंदिर जाना था,
शिवरात्रि में तुम्हारे संग बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाना था,
और रामनवमी पर अयोध्या की भव्यता देखनी थी,
पर अब सब ख्वाब अधूरे ही रह गए.....
-MUKESH JHA