जिंदगी की भागदौड में,
अनुभव कच्चा ही रह गया..।
हम सीख न पाये धोखा,
और दील बच्चा ही रह गया...।
बचपन मे जब मन करे हंस लेते थे,
जहा चाहे रो लेते थे...।
पर अब हंसने के लीए भी अदब ,
और रोने के लीए भी एकांत चाहीए...।
हम भी मुस्कराते थे कभी लापरवाह अंदाज मे,
देखा है हमने खुदको कुछ पुरानी तस्वीरो में...।
चलो मुस्कराने की वजह ढंढते है,
खुशी के हम तूम वो पल ढूंढते है...।
-Daxa Bhati