सन्नाट सा लग रहा है कोई सो गया क्या ?
बेगाना सा मुसाफ़िर हूं मैं खो गया क्या ?
ये दौलत , शोहरत , इज्जत सब दिखावा ही है मैं दामन लाउ तुम दोगे क्या ?
मेरी कमियां, गुस्ताखीय, की कस्ती के सवारी मैं खुद चढ़ जाऊ तुम हाथ दोगे क्या ?
दायरा ही नफ्ते रहोगे मेरे बदसुलुखी का मैं करने पर उतर जाऊ तुम रहोगे क्या ?
-Alone Soul