नही कहती तुम हीरे लाकर दो...
नही कहती तुम विदेश घुमाओ...
कभी रसोई में आकर ...
पसीना तो पोछ दो तुम..
नही कहती बेल की भाँति
काम ही करते रहो....
कभी दो पल शांति से बैठकर आराम से जियो तुम..
नही कहती करोड़ो के बंगले लाखो के गहने चाहिए..
कभी शांति से सँग बैठकर भोजन तो करो तुम...
नही कहते बच्चे की सारी जिम्मेदारी निभाओ..
कभी बच्चे की परवरिश पर चिंतन तो करो तुम...
नही कहते कि दौड़ते रहो जरूरी है जीवन का हिस्सा किंतु बाहर अनंत दौड़ से दौड़ते दौड़ते
खुद के भीतर बच्चे को न भूलो तुम....
मिलना बिछड़ना सुख दुःख जुला चलता रहेगा...
बारिश में कभी सँग भीगकर
भीतर परमात्मा से मिलो तुम..
जीवन है जीवन के रहते
जीवन का अर्थ समजो तुम....
अज्ञात🌺
कभी कभी राह भटकना ही मंजिल को पाना होता है ।
कभी राह भटको तुम आराम से गहरी सांस लो तुम...