विषय - आंखें
दिनांक-09/07/2022
मदहोश हो गए हम तो देखो,
उनकी कजरारी आंखों में।
एकटक ही हमें देख रहे थे वो,
जैसे महसूस किया हो उन्हें अपनी बांहों में।।
नयन नशीले है उनके तो,
मदहोशी का आलम छा जाता है।
बिना शराब के पिएं हुए ही,
नशा उनका ही चढ़ता जाता है।।
हाय ये कैसी तलब लगा दी उसने,
बिन देखे उसे, मुझे चैन न आए।
उसकी मदमस्त गहरी आंखों में,
दिन प्रति दिन ही दिल डूबता जाए।।
न देखें कोई मेरे महबूब को,
यही डर मुझे हरदम लगता है।
उसके दूर कहीं चले जाने का,
मन में भय सा चलता है।।
उसको छुपाकर दुनियां की नजर से,
बस अपने ही सीने से लगाना है।
बचाकर सबकी बुरी नजरों से उसे,
बस अपना ही उसे बनाना है।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री