घर परिवार के इशारों पर
सुबह से शाम तक एक पैर पर
नाचने वाली स्त्रियों को समाज
पहनाता है सभ्य सुशील स्त्रियों का तमगा
लेकिन अपने मन के इशारों पर चलने वाली स्त्रियां
अपने लिए चंद लम्हे खुशी के जीने वाली स्त्रियां
इसी समाज की नजरों में बहुत खटकती है
और अक्सर वो संस्कारहीन के तमगे से नवाजी जाती है।
-Saroj Prajapati